व्यापार सर्कल क्या है?

वृद्धि-संदर्भ की चक्रवृद्धि एक निशान गतिविधि है जो किसी देश में अपने दीर्घकालिक प्रवृत्ति के चारों तरफ अनियमितता दिखाती है। यह चार चरणों से मिलकर बना होता है: गिरावट, मंदी, वृद्धि और समृद्धि। 1. गिरावट चरण - उत्पादन, बिक्री की कमी और बेरोजगारी में बढ़ोतरी के साथ चरित्रित होता है। इस समय आर्थिक धीमावधान होता है, और निवेश सीमित हो जाते हैं। 2. मंदी चरण - यह एक अवधि है जिसमें आर्थिक गतिविधि कम होती है और कम से कम दो अगले क्वार्टर तक चलती है। इस समय जीडीपी कम होती है, बेरोजगारी बढ़ती है, और उपभोक्ता अपना खर्च करने में सीमित होते हैं। 3. वृद्धि चरण - मंदी के बाद आर्थिक प्राण होता है, जिसमें उत्पादन, बिक्री, निवेश की वृद्धि और बेरोजगारी की कमी होती है। यह समय है जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है और नए अधिकतम को छूती है। 4. समृद्धि चरण - यह वृद्धि-संदर्भ का शीर्षक समय होता है, जब अर्थव्यवस्था शीर्ष स्तर पर होती है। इस अवधि में राष्ट्रीय आय बढ़ती है, और निवेशक लाभ उठाते हैं। हालांकि, अत्यधिक विस्तार से अधिक दर से हानिकारक शुदावि और बुद्धिमानता की स्थिति तक पहुंच सकती है। वृद्धि-संदर्भ एक प्राकृतिक घटना है जो हर अर्थव्यवस्था में होती है और देश के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इसका समझना भविष्य के परिवर्तनों का पूर्वानुमान करने और विकसिता की अवसरों को उपयोग करने के लिए उचित कार्यवाही लेने का अवसर देता है।

वृद्धि-संदर्भ की चक्रवृद्धि एक निशान गतिविधि है जो किसी देश में अपने दीर्घकालिक प्रवृत्ति के चारों तरफ अनियमितता दिखाती है। यह चार चरणों से मिलकर बना होता है: गिरावट, मंदी, वृद्धि और समृद्धि। 1. गिरावट चरण - उत्पादन, बिक्री की कमी और बेरोजगारी में बढ़ोतरी के साथ चरित्रित होता है। इस समय आर्थिक धीमावधान होता है, और निवेश सीमित हो जाते हैं। 2. मंदी चरण - यह एक अवधि है जिसमें आर्थिक गतिविधि कम होती है और कम से कम दो अगले क्वार्टर तक चलती है। इस समय जीडीपी कम होती है, बेरोजगारी बढ़ती है, और उपभोक्ता अपना खर्च करने में सीमित होते हैं। 3. वृद्धि चरण - मंदी के बाद आर्थिक प्राण होता है, जिसमें उत्पादन, बिक्री, निवेश की वृद्धि और बेरोजगारी की कमी होती है। यह समय है जब अर्थव्यवस्था बढ़ती है और नए अधिकतम को छूती है। 4. समृद्धि चरण - यह वृद्धि-संदर्भ का शीर्षक समय होता है, जब अर्थव्यवस्था शीर्ष स्तर पर होती है। इस अवधि में राष्ट्रीय आय बढ़ती है, और निवेशक लाभ उठाते हैं। हालांकि, अत्यधिक विस्तार से अधिक दर से हानिकारक शुदावि और बुद्धिमानता की स्थिति तक पहुंच सकती है। वृद्धि-संदर्भ एक प्राकृतिक घटना है जो हर अर्थव्यवस्था में होती है और देश के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इसका समझना भविष्य के परिवर्तनों का पूर्वानुमान करने और विकसिता की अवसरों को उपयोग करने के लिए उचित कार्यवाही लेने का अवसर देता है।

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